श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में “बौद्धिक संपदा अधिकार साक्षरता एवं नवाचार” पर फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ……..

@हिंवाली न्यूज़ ब्यूरो (10 सितंबर 2025)
टिहरी (उत्तराखंड)। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर (एफडीसी) द्वारा “Empowering Educators through IPR Literacy and Innovation” विषय पर एक सप्ताहव्यापी फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का शुभारंभ बड़े ही उत्साह और गरिमा के साथ किया गया। । उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. एन.के. जोशी ने की। अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कुलपति प्रो. जोशी ने कहा कि “आज की ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता की नींव हैं। शिक्षा जगत की जिम्मेदारी है कि वह छात्रों और शोधार्थियों को नवाचार की दिशा में प्रेरित करे और उन्हें ऐसे मार्गदर्शन दे जिससे उनके विचार मूल्यवान बौद्धिक संपदा में परिवर्तित हो सकें।” यह फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम नई शिक्षा नीति 2020 और आत्मनिर्भर भारत के विज़न के अनुरूप नवाचार-आधारित शैक्षणिक वातावरण को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसके माध्यम से शिक्षकों और शोधार्थियों को न केवल IPR की गहन जानकारी मिलेगी, बल्कि उन्हें शोध को व्यावहारिक नवाचारों में परिवर्तित करने की दिशा में प्रेरणा भी प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि किस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से IPR की प्रक्रियाओं को और प्रभावी बनाया जा सकता है। विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए किसी भी राष्ट्र को केवल विचार उत्पन्न करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उन्हें सुरक्षित करने और व्यावहारिक रूप से लागू करने की भी आवश्यकता है। विश्वविद्यालयों की भूमिका केवल शिक्षा तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन्हें अनुसंधान को समाजोपयोगी और नवाचारोन्मुख बनाना होगा।” उन्होंने विशेष रूप से फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक एवं गणित विभागाध्यक्ष प्रो. अनीता तोमर के सक्रिय सहयोग और मार्गदर्शन को सराहा। साथ ही आयोजन टीम में डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी और डॉ. सीमा बैनिवाल
के समर्पित प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि “इस तरह के आयोजन ही भविष्य की दिशा तय करते हैं।” इस पहल से विश्वविद्यालय स्तर पर एक ऐसे शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा जहाँ रचनात्मकता, नवाचार और बौद्धिक संपदा संरक्षण को समान महत्व मिलेगा।
स्वागत भाषण में प्रो. अनीता तोमर ने कहा कि “इस एफडीपी का उद्देश्य शोध और शिक्षा जगत में नवाचार-उन्मुख वातावरण का निर्माण करना है। बौद्धिक संपदा अधिकारों की साक्षरता न केवल शिक्षकों एवं शोधकर्ताओं को सशक्त बनाएगी, बल्कि संस्थानों को भी नवाचार और स्टार्ट-अप संस्कृति की ओर अग्रसर करेगी।” फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का उद्देश्य शिक्षकों एवं शोधकर्ताओं को बौद्धिक संपदा अधिकारों, पेटेंट प्रक्रिया, वाणिज्यिक उपयोग और नवाचार प्रबंधन की जानकारी देना है। इस दौरान पेटेंट कानून, एआई टूल्स, डिजाइन एवं कॉपीराइट से जुड़े मुद्दों और नवाचारों की सुरक्षा तथा उनके दोहन की रणनीतियों पर विशेष सत्र आयोजित किए जाएंगे। इस अवसर पर देशभर से आए विशेषज्ञों ने अपने विचार विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि यह आयोजन नई शिक्षा नीति 2020 और आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना के अनुरूप नवाचार-प्रेरित शैक्षणिक वातावरण को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। IPR साक्षरता न केवल शोधकर्ताओं को नई दिशा प्रदान करेगी बल्कि संस्थानों को भी स्टार्टअप, उद्यमिता और इनक्यूबेशन की संस्कृति की ओर अग्रसर करेगी।”
कोर्स समन्वयक डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी ने कहा कि “यह आयोजन शिक्षकों और शोधार्थियों को जागरूक करने की दिशा में एक सशक्त पहल है। पेटेंट प्रक्रिया, कॉपीराइट, डिजाइन, और नवाचार प्रबंधन जैसे विषय उन्हें व्यावहारिक ज्ञान देंगे, जिसका उपयोग वे अपने शोध और शिक्षण दोनों में कर सकेंगे।” डॉ. त्रिपाठी ने माननीय कुलपति , सभी विशेषज्ञों, अतिथियों एवं प्रतिभागियों और आयोजन समिति के सहयोग हेतु आभार व्यक्त किया। सत्र का संचालन समन्वयक डॉ. सीमा बनिवाल ने किया। उन्होंने अकादमिक शोध को उद्योग से जोड़ने की आवश्यकता और नवाचार की सामाजिक-आर्थिक उपयोगिता पर विचार पर बल दिया
इस अवसर पर देशभर से आए प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए और अपने अनुभव साझा किए:
डॉ. अनीता गहलोत, जॉइंट डायरेक्टर (रिसर्च एवं इनोवेशन), उत्तरांचल यूनिवर्सिटी, देहरादून ने “Sustainable Innovation and SDGs”विषय पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में बौद्धिक संपदा अधिकारों और नवाचार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। शिक्षकों को चाहिए कि वे अपने शोध को केवल प्रकाशन तक सीमित न रखें, बल्कि उसे समाजोपयोगी नवाचारों में ढालें।”
प्रो. राजेश सिंह, डायरेक्टर (रिसर्च एवं इनोवेशन), उत्तरांचल यूनिवर्सिटी, देहरादून ने “Trans-disciplinary innovation for society”विषय पर वक्तव्य देते हुए कहा कि “नवाचार बहुविषयी दृष्टिकोण से ही संभव है। शिक्षा, उद्योग और समाज के बीच सेतु बनाकर ही अनुसंधान वास्तविक परिवर्तन ला सकता है।”
श्री यासिन अब्बास ज़ैदी, NIPAM Officer (NIPAM 2.0), पेटेंट एवं डिज़ाइन परीक्षक, पेटेंट कार्यालय, नई दिल्ली ने “Faculty Capacity Building” विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि “शिक्षकों को चाहिए कि वे छात्रों और शोधार्थियों को पेटेंट फाइलिंग व नवाचार विकास की दिशा में मार्गदर्शन दें। विश्वविद्यालय स्तर पर बौद्धिक संपदा की साक्षरता नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने का सशक्त माध्यम है। यह कदम भारत को वैश्विक बौद्धिक संपदा मानचित्र पर अग्रणी बनाएगा।”
इस एफडीपी में देशभर से आए विशेषज्ञों ने भाग लिया जिनमें उत्तरांचल विश्वविद्यालय, देहरादून से डॉ. अनीता गहलोत एवं प्रो. राजेश सिंह, पेटेंट ऑफिस नई दिल्ली से श्री यासिन अब्बास ज़ैदी, रजिस्टर्ड पेटेंट एजेंट सुश्री मुस्कान रस्तोगी, ए.आई.आर.डी. लैब्स की सह-संस्थापक डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़, चेन्नई से डॉ. कलैयारासन अरुमुगम, दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉ. चंदर मोहन नेगी एवं डॉ. सुधीर सिंह, पेटेंट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट विशेषज्ञ डॉ. रितेश माथुर, तथा आईपी काउंसल व पेटेंट एजेंट ट्रेनर डॉ. के.टी. वरघीस शामिल रहे। उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों और विभागों से गणमान्य प्राध्यापक एवं अधिष्ठाता उपस्थित रहे जिनमें विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. एस.पी. सती, वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय की प्रो. कंचनलता सिन्हा, डॉ. गौरव वर्ष्णेय सहित अनेक विद्वान और राज्यभर के प्रतिभागी शामिल थे। पूरे सत्र के दौरान प्रतिभागियों में उत्साह और जिज्ञासा देखने को मिली। कार्यक्रम में शोधार्थियों और प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रश्नोत्तर और विचार-विमर्श सत्रों में प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों से सीधे संवाद किया।पूरे आयोजन के दौरान एक शैक्षणिक उत्सव का वातावरण रहा और प्रतिभागियों ने इसे अपने करियर और शोध जीवन में अत्यंत उपयोगी बताया।