जोशीमठ बड़ा गांव में आयोजित किया गया गरुड़ छाड़ मेला
@हिंवाली न्यूज़ ब्यूरो (28 अप्रैल 2023)
जोशीमठ। चमोली बड़ागांव जोशीमठ क्षेत्र का सांस्कृतिक सामाजिक एवं कृषि के क्षेत्र में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका वाला क्षेत्र है यहां पर एक सांस्कृतिक विरासत जिसे गरुड़ छाड़ कहते हैं इस मेले का आयोजन हर वर्ष बैसाख महीने में होता है एक वर्ष हस्ती अर्थात भगवती दुर्गा का महिषासुर मर्दिनी का रूप दिखाया जाता है और दूसरे वर्ष गरुड़ छाड़ मेला आयोजित किया जाता है इस मेले का मूल उद्देश्य है कि जब कृष्ण भगवान ने नाग लोक से पैया पाती लेकर के मित्र मंडल में आये थे और उनकी मां देवकी को प्रताड़ित किया था उसी समय गर्भावस्था के समय कंस ने देवकी को भारी कष्ट दिया था उसमें एक कष्ट नाग लोक से पयंया पाती लाने का था क्योंकि नागलोक में सर्प रहते हैं ऐसी लोक मान्यता है भगवान विष्णु जब नाग लोग गए थे वहां पय्यां के पेड़ पर चढ़ने लगे वासु गिरी नाग नए उन्हें मारने के लिए पेड़ पर नाग चढ़ने लगा जैसे-जैसे कृष्ण भगवान पेड़ पर चढ़ते के वैसे नाग भी चढ़ता गया और अंत में जब पेड़ की शाखा समाप्त हो गई भगवान विष्णु के सर पर वासु गिरी नाग पहुंच गया और डंक मारने लगा वासु गिरी नाग ने कहा कि जो भी तुम्हारा सहायक है उसे बुला लो तुम्हारा अंतिम समय आ गया है एक बार श्री कृष्ण ने गरुड़ की मदद की थी और गरुड़ ने कहा था जब भी तुम पर संकट आएगा मेरा स्मरण करना भगवान नारायण ने कहा कि कुछ पक्षी है जो मेरी मदद कर सकते हैं मैं उनका स्मरण करता हूं जैसे श्री कृष्ण गरुड़ महाराज का स्मरण किया उसी समय गरुड़ पक्षियों का झुंड पहुंच गया और उन्होंने वासु गिरी नाक पर अपना चोंच ने शुरू की एक अंधे गुरु ने भगवान विष्णु के सर पर डंक मार दिया कुछ देर के लिए भगवान श्री कृष्ण मूर्छित होकर के पययां के वृक्ष के समीप गिर पड़े और उसके बाद गरुड़ सहित सभी लोगों ने पंचदेव का स्मरण किया और उसके बाद श्री कृष्ण मूर्छा से वापस लौट आए और वासु गिरी नागदेव ने भी भगवान श्री कृष्ण का अभिवादन किया और पययां का वृक्ष लेकर नाग लोक से मृत मंडल की ओर चल पड़े भगवान कृष्ण का वाहन गरुड़ पक्षी बन गया और गरूड़ में सवार होकर भगवान श्री कृष्ण मृत्यु मंडल की ओर आ गये ऐसी लोक मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण हर तीसरी वर्ष में नाग लोग से पययां पाती ला करके बड़ा गांव आते हैं यहां पर भगवती दुर्गा क्षेत्रपाल भगवान श्री कृष्ण और गुरु जी का स्वागत करते हैं इस मेले के आयोजन के समय 2 दर्जन से अधिक मुखोटओं का नृत्य का मंचन बड़ागांव में किया जाता है जिसमें गणेश पत्र सूर्यपुत्र ब्रह्मा विष्णु पत्र कन्नड़ देश का राजा कूरु जोगी, लाटी लाटा सहित कई हास्य व्यंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं यहां के इष्ट देव अवतरित होकर के लोगों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं यह मेला सैकड़ों वर्षों से आयोजित किया जाता है यहां दूर-दूर के लोग इस मेले के दर्शन के लिए आते हैं बड़ा गांव के सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सदस्य राकेश भंडारी ने बताया कि इस मेले का आयोजन लोग भव्य रुप से करते हैं और देश विदेश के श्रद्धालु आयोजन में सम्मिलित होते हैं। बड़ागांव सांस्कृतिक एवं सामाजिक रुप से बड़ा ही महत्व रखता है नीति बॉर्डर जोशीमठ से 5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है यहां पर यह आयोजन हर वर्ष भव्य रूप से किया जाता है। यहां जिला चमोली की सब्जी उत्पादन की प्रमुख घाटी के रूप में भी जाना जाता है।