उखीमठ। श्री केदार बाबा के परम् भक्त ल वेदपाठी ज्ञान रूपी भंडार के सागर अपने मधुर कंठ से देश विदेश में बाबा केदारनाथ की आरती ल मंत्रो से अपनी पहचान बना चुके युवा परम् शैव श्री मृत्युंजय हिरेमठ का कल देर शाम अपने घर पर हृदय घात होने से निधन होने की खबर ने पूरे केदार घाटी से लेकर राज्य में लोगों को बड़ा आघात लगा है।
साथ ही पूरी केदार घाटी में शौक की लहर छा गई। सेवानिवृत्त पुजारी १०८ श्री गुरु लिंग जी महाराज के चार पुत्रों में सबसे छोटे पुत्र थे वें केदारनाथ, ओंकारेश्वर मन्दिर ऊखीमठ में वेदपाठी के पद पर कार्यरत थे हर सुबह और संध्याकाल में मन्दिर से माइक की मधुर आवाज से भक्तों को भावविभोर
करने वाली आवाज अब सदा के लिए थम गई है।
केदारनाथ धाम में वेदपाठी के पद पर रहते हुए जिस प्रकार से युवा मृत्युंजय हिरेमठ जी मंत्रो का उच्चारण करते थे उन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता। वहीं बद्री- केदारनाथ मन्दिर समिति के कार्यधिकारी आर सी तिवारी ने कहा कि युवा वेदपाठी मृत्युंजय हिरेमठ के अचानक हम सबके बीच से चला जाना हम सभी के लिए बड़ी क्षति हैं।
उन्होंने बताया कि कल लोकसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद वें घर लोटे घर पर ही अचानक उन्हें हृदय घात होने से उनकी अकाल मौत हो गईं। आज शैव परम्परा के मुताबिक उनको मन्दिर समिति के अधिकारीयों कर्मचारियों, तीर्थ पुरोहितों, क्षेत्रीय जनता की मौजूदगी में ऊखीमठ में इस महान धार्मिक ज्ञानी को नम आँखो से समाधि दीं जायेगी। न्यूज़ 13 उत्तर प्रदेश उत्तराखंड परिवार भी इस महान केदारनाथ के भक्त को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।