श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में ए.आई., डीप लर्निंग और डिजिटल पेडागॉजी पर गहन प्रशिक्षण सत्र विशेषज्ञों ने साझा किए भविष्य-उन्मुख शिक्षण के व्यावहारिक दृष्टिकोण…….

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@हिंवाली न्यूज़ ब्यूरो (12 अगस्त 2025)

ऋषिकेश, 12 अगस्त 2025:

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर में चल रहे सप्ताहव्यापी एफडीपी “एआई एवं एमओओसीएस के माध्यम से डिजिटल पेडागॉजी का विकास – विकसित भारत@2047 की ओर” के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने विविध तकनीकी और शैक्षणिक विषयों पर गहन ज्ञानार्जन किया। आज के सत्रों में उच्च शिक्षा में MOOCs और डिजिटल पेडागॉजी के व्यावहारिक अनुप्रयोग, न्यूरल नेटवर्क एवं डीप लर्निंग, इंटरनेट और वेब ब्राउज़र की बुनियादी संरचना, तथा एआई-सक्षम MOOCs के नए युग पर केंद्रित चर्चाएँ हुईं। कार्यक्रम में देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों ने उच्च शिक्षा में तकनीकी नवाचार और शिक्षण की नई पद्धतियों पर व्याख्यान दिए।

दूसरे दिन, पहले सत्र (10:30–12:00) में डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, शिक्षा विभाग, पं. ललित मोहन शर्मा परिसर, श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय, ऋषिकेश ने “Integrating MOOCs and Digital Pedagogy for Inclusive and Flexible Higher Education” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि MOOCs और डिजिटल पद्धतियों का समेकन शिक्षा को भौगोलिक और सामाजिक सीमाओं से परे ले जाकर अधिक समावेशी और लचीला बनाता है। संस्थागत रणनीतियों और व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से उन्होंने स्पष्ट किया कि इन साधनों का सही प्रयोग छात्रों को आत्मनिर्भर और जीवनपर्यंत सीखने के लिए प्रेरित कर सकता है।

दूसरे दिन, दूसरे सत्र (12:00–1:30) में डॉ. अजय, कंप्यूटर विज्ञान विभाग, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान ने “Introduction to AI, Machine Learning ,Deep Learning and their Applications” पर व्याख्यान देते हुए बताया कि यह तकनीक मानवीय मस्तिष्क से प्रेरित होकर विशाल डेटा से जटिल पैटर्न सीखने और निर्णय लेने की क्षमता रखती है। उन्होंने डीप लर्निंग के स्वास्थ्य, वित्त, भाषा प्रसंस्करण और स्वचालित प्रणालियों में अनुप्रयोगों को वास्तविक उदाहरणों और डेमो के साथ समझाया। डॉ. अजय ने बताया कि कैसे मल्टी-लेयर न्यूरल नेटवर्क बड़ी मात्रा में डेटा से जटिल पैटर्न सीखते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी समाधान प्रदान करते हैं।

दूसरे दिन, लंच ब्रेक के बाद (2:00–3:30) डॉ. कृष्ण कुमार मिहबे, कंप्यूटर विज्ञान विभाग, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान ने “Foundations of the Internet, World Wide Web, and Web Browsers” विषय पर विस्तृत जानकारी दी। । उन्होंने इंटरनेट की संरचना, वर्ल्ड वाइड वेब के विकास और वेब ब्राउज़रों की कार्यप्रणाली को सरल भाषा में समझाते हुए बताया कि इन मूलभूत तकनीकों का गहन ज्ञान डिजिटल साक्षरता का आधार है।

दूसरे दिन, अंतिम सत्र (3:30–5:00) में डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, सह-संस्थापक, AI रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैब्स, जोधपुर ने “AI Meets MOOCs: The New Era of Digital Teaching” विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि कैसे आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस MOOCs को व्यक्तिगत, संवादात्मक और अधिक प्रभावी बनाकर डिजिटल शिक्षण में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है। उन्होंने एआई-आधारित व्यक्तिगत शिक्षण, स्वचालित आकलन, बुद्धिमान फीडबैक और अनुकूलित शिक्षण पथ की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। जिसमें एआई-आधारित

पहले दिन के तकनीकी सत्रों की शुरुआत 11:30–1:00 बजे प्रो. पुष्पेंद्र कुमार, वाणिज्य विभाग, किरोरीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के व्याख्यान “AI Tools for Research and Teaching” से हुई। उन्होंने शोध और शिक्षण में प्रयोग होने वाले विभिन्न एआई टूल्स जैसे डेटा एनालिटिक्स, जनरेटिव एआई, और स्वचालित मूल्यांकन तकनीकों के उपयोग पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया।

पहले दिन , लंच ब्रेक के बाद दोपहर 1:15–2:45 बजे डॉ. देइवम, एस.आर.टी. परिसर, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, नई टिहरी ने “Empowering Educators: Navigating Digital Pedagogy and AI in Education” विषय पर चर्चा की, जिसमें डिजिटल पद्धतियों और एआई के प्रभावी उपयोग से शिक्षण गुणवत्ता में सुधार के उपाय बताए गए। उन्होंने बताया कि डिजिटल पेडागॉजी और एआई के संयोजन से कैसे शिक्षक व्यक्तिगत, लचीला और परिणाम-उन्मुख शिक्षण अनुभव प्रदान कर सकते हैं।

पहले दिन , अंतिम सत्र दोपहर 2:45–4:15 बजे प्रो. ममता रानी, डीन (स्कूल), कंप्यूटर विज्ञान विभाग, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ राजस्थान ने “Natural Language Processing” विषय पर रोचक प्रस्तुति दी, जिसमें मशीनों द्वारा मानव भाषा को समझने, संसाधित करने और उत्पन्न करने की तकनीकों का व्यावहारिक परिचय दिया गया।

फ़ैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक प्रो. अनीता तोमर ने कहा, “इन दो दिनों के सत्रों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उच्च शिक्षा का भविष्य तकनीक-समर्थ, समावेशी और लचीले शिक्षण में निहित है। एआई, डीप लर्निंग, और डिजिटल पेडागॉजी के सही प्रयोग से हम छात्रों के सीखने के अनुभव को नई ऊँचाइयों पर ले जा सकते हैं। प्रो. तोमर ने कहा कि इन व्याख्यानों ने प्रतिभागियों को तकनीक-आधारित शिक्षण की नई दिशाओं से परिचित कराया और यह अनुभव उनके शिक्षण-अध्ययन की गुणवत्ता में दीर्घकालिक सुधार लाएगा। उन्होंने दिनभर के सत्रों को ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायी बताते हुए वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

माननीय कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने के समर्पण की सराहना की। आज के कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के प्राध्यापकगण, शोधार्थी एवं प्रदेशभर से प्रतिभागी मौजूद रहे। सत्रों के दौरान शिक्षकों में तकनीकी विषयों को लेकर गहरी जिज्ञासा और सक्रिय सहभागिता देखने को मिली, जिससे यह स्पष्ट है कि आगामी दिनों में यह एफडीपी उच्च शिक्षा में डिजिटल नवाचार का एक मजबूत मंच सिद्ध होगी।

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