शुद्ध एवं अनुप्रयुक्त गणित में नवीनतम विकास पर अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस RDIPAM-2025 का सफल उद्घाटनः श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय और राजकीय महाविद्यालय चकराता ने गणित में नए शोध की दिशा तय की…..
@हिंवाली न्यूज़ ब्यूरो (23 नवंबर 2025)
देहरादून, 13 नवंबर 2025 श्री देव सुम्न उत्तराखंड विश्वविद्यालय, ऋषिकेश के पी. एल एम. एस. कैंपस एवं राजकीय महाविद्यालय, चकराता (देहरादून), के गणित विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के संयुक्त तत्वावधान में शुद्ध एवं अनुप्रयुक्त गणित में नवीनतम विकास पर अंतर्राष्ट्रीय ई-कॉन्फ्रेंस (RDIPAM-2025) का उद्घाटन कुलपति प्रो. एन. के. जोशी (श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय) ने दीप प्रज्वलन कर किया। यह प्रतिष्ठित आयोजन उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती के उपलक्ष्य में किया गया, जिसका उद्देश्य गणित के क्षेत्र में हो रहे वैश्विक अनुसंधानों को एक मंच प्रदान करना है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शैलजा रावत, IQAC नोडल अधिकारी, राजकीय स्मातकोत्तर महाविद्यालय, चकराता द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया।
कुलपति प्रो. एन. के. जोशी ने कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करते हुए गणित के अध्ययन की दार्शनिक और व्यावहारिक आवश्यकता पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि गणित न केवल ब्रह्मांड के नियमों को समझने के लिए आवश्यक है बल्कि यह तर्कसंगत सोच (Logical Reasoning) और समस्या समाधान कौशल (Problem-Solving Skills) का आधार भी है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज के ‘डेटा संचालित’ युग में, जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी तकनीकों का वर्चस्स है, वहाँ गणितज्ञों की भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। प्रो. जोशी ने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे शुद्ध गणित के सिद्धांतों को मजबूत करें और साथ ही, अनुप्रयुक्त गणित के माध्यम से सामाजिक और तकनीकी चुनौतियों का समाधान खोजें। कुलपति प्रो. जोशी ने गणित को विश्व की सार्वभौमिक भाषा बताते हुए युवा शोधार्थियों से नवाचार, मौलिकता और वैश्विक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।
गणित विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर अनिता तोमर ने अपने स्वागत भाषण में कॉन्फ्रेंस के मुख्खा उद्देश्स को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि RDIPAM-2025 एक ऐसा मंच है जहाँ भारत और विदेशों के शोधार्थी, वैज्ञानिक और शिक्षाविद एक साथ आकर गणित में नवीनतम विकास, जैसे टोपोलॉजी, फंक्शनल एनालिसिस, फ्रैक्शनल कैलकुलस और न्यूमेरिकल मैथमेटिक्स पर विचार-विमर्श कर सकते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ई-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हम भौगोलिक सीमाओं को तोड़कर ज्ञान के वैश्विक आदान-प्रदान को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह मंच सहयोगात्मक अनुसंधान (Collaborative Research) के लिए बीज बोएगा और गणितीय ज्ञान की नई दिशाओं को प्रेरित करेगा। शिक्षण संस्थानों को केवल पाठ्यक्रम पूरा करने तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) बनाना चाहिए जहाँ नवीन शोथ और अंतर-विषयक ज्ञान (Interdisciplinary Knowledge) का निरंतर प्रवाह हो। उन्होंने जोर दिया कि गणितीय मॉडल जटिल वास्तविक दुनिया की समस्माओं को सरल बनाने में मदद करते हैं, और इसलिए इस कॉन्फ्रेंस में होने वाली चर्चाएँ सीधे समाज को लाभ पहुँचाने की क्षमता रखती हैं।
प्राचार्य प्रो. आशुतोष शरण ने अपने वक्तव्य में अकादमिक सहयोग के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय और राजकीय महाविद्यालय चकराता के बीच इस संयुक्त आयोजन की सराहना की, जो गणित जैसे मूलभूत विषय के लिए ज्ञान का प्रसार कर रहा है। गणित केवल संख्याओं और सूत्रों की भाषा नहीं, बल्कि नवाचार, तर्कशक्ति और सृजनशीलता का प्रतीक है उन्होंने कहा कि कॉलेज स्तर पर शोध और नवाचार को प्रोत्साहित करना आवश्यक है, और इस तरह के अंतर्राष्ट्रीय मंच छात्रों और संकाय सदस्यों को नवीनतम रुझानों से परिचित कराते हैं। प्रो. शरण ने इस बात पर जोर दिया कि गणित केवल सिद्धांत नहीं है, बल्कि यह अर्थशास्त्र, भौतिकी और जीव विज्ञान सहित अन्य विषयों में भी एक शक्तिशाली उपकरण है, जिसके अनुप्रयोगों को समझना वर्तमान पीढ़ी के लिए महत्वपूर्ण है।
डीन, फैकल्टी ऑफ साइंस, प्रो. एस. पी. सती ने अपने विशेष वक्तव्य में गणित और अन्य विज्ञान संकायों के बीच अंतर विषयक (Interdisciplinary) सहयोग के महत्ा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज के समय में जटिल समस्याओं को हल करने के लिए, हमें गणित को केवल एक अलग विषय के रूप में नहीं, बल्कि भौतिकी, रसायन विज्ञान और भूविज्ञान जैसे क्षेत्रों में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में देखना होगा। प्रो. सती ने शोधार्थियों को पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकलकर, वास्तविक दुनिया के डेटा और वैज्ञानिक मॉडलों पर गणितीय सिद्धांतों को लागू करने के लिए प्रेरित किया, ताकि अधिक प्रासंगिक और प्रभावी अनुसंधान किया जा सके
आयोजन सचिव डॉ. शिवांगी उपाध्याय ने धन्यवाद ज्ञापन (Vote of Thanks) देते हुए सफलतापूर्वक संपन्न हुए उद्घाटन सत्र पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कॉन्फ्रेंस में भाग लेने वाले सभी आमंत्रित वक्ताओं, शोध पत्र प्रस्सूतकर्ताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। डॉ. उपाध्याय ने विशेष रूप से कुलपति महोदय के प्रेरणादायक मार्गदर्शन और दोनों सहयोगी संस्थानों के प्रबंधन के निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि यह कॉन्फ्रेंस गणित के क्षेत्र में भविष्य के सहयोग के लिए मंच तैयार करेगी और उन्होंने तकनीकी सत्रों में भी उत्साहजनक भागीदारी की आशा व्यक्त की।
उद्घाटन सत्र के बाद, तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रोफ़ेसर संजय पलारिया,
प्रोफेसर यू.सी. गैरोला, प्रोफेसर अनिल कुमार, प्रोफेसर जी.वी. आर. बाबू, प्रोफेसर संतोष कुमार, डॉ. शैलजा रावत ने की। सेंट लोंगोवाल इंस्टीट्यूट से प्रो. विनोद मिश्रा ने उथली और गहरी जल तरंगों (Shallow and Deep water waves) के गणितीय लक्षण वर्णन पर बात की। बालिकेसिर विश्वविद्यालय, तुर्की के डॉ. निहाल ताश ने फ़िक्सह पॉइंट थ्योरी में कुछ खुले प्रश्नों (Open problems) पर अपने विचार प्रस्तुत किए। सऊदी अरब के एक संस्थान से मोहम्मद साजिद ने गणितीय मॉडलिंग और अनुप्रयोगों में फ्रेक्टल्स और कैओस (Fractals and Chaos) पर एक विस्तृत व्याख्यान दिया। इस सत्र में देश-विदेश के शोधार्थियों द्वारा गणित के विभिन्न जटिल और अत्माधुनिक क्षेत्रों पर चार महत्ापूर्ण शोध पत्र प्रस्तुत किए गए: लाइटनिंग और टेम्परेचर इंड्यूसह डिप्लेक्शन इन एल्यूमीनियम प्लेट्सः शोधकर्ता ने एल्यूमीनियम प्लेटों पर बिजली गिरने और उच्च तापमान के कारण होने वाले विरूपण (डिफ्लेक्शन) का अध्ययन करने के लिए गणितीय मॉडलिंग का उपयोग किया। सम फिक्स्ड पॉइंट परिणाम और अस्थिर इम्पल्सिव ऑर्डिनरी डिफरेंशियल इक्वेशन्सः इस प्रस्तुति में अस्थिर इम्पल्सिव ऑर्डिनरी डिफरेंशियल इक्वेशन्स के लिए कुछ फिक्स पॉइंट झोरम और उनके अनुप्रयोगों पर चर्चा की गई, जो डायनेमिकल सिस्ट्म्स के लिए महत्वपूर्ण हैं। नॉन-सोर समीकरणों के लिए रिलेटिव डिस्ट्रॉर्शन रिजल्टूसः शोध कार्य में नॉन-सोर (Non-Sore) समीकरणों के संदर्भ में सापेक्ष विरूपण (Relative Distortion) परिणामों का गहन विश्लेषण किया गया। फ्रैक्शनल इंटीग्रल इक्वेशन्स के लिए फेवरॉट-शिमिट्ज़ अप्रोचः इस पेपर में फ्रैक्शनल इंटीग्रल इक्वेशन्स के सन्निकट समाधान (Approximate Solutions) प्राप्त करने के लिए फेवरॉट-शिमिट्ज़ अप्रोच की प्रभावशीलता और अनुप्रयोगों का प्रदर्शन किया गया।
इस ई-कॉन्फ्रेंस में भारत सहित दक्षिण अफ्रीका, अल्जीरिया, तुर्की, सऊदी अरब और ओमान जैसे देशों से 117 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया। आमंत्रित वक्ताओं में प्रो. ए. एच. अंसारी (दक्षिण अफ्रीका), प्रो. मोहम्मद साजिद (सऊदी अरब), प्रो. राजेश शर्मा (हिमाचल प्रदेश), प्रो. यू. सी. गैरोला (गढ़वाल विश्वविद्यालय), प्रो. एस. ए. काटरे (पुणे विश्वविद्यालय), प्रो. जी. वी. आर. बाबू (आंध्र विश्वविद्यालय), प्रो. विनोद मिश्रा (पंजाब), प्रो. अनिल कुमार (गाज़ियाबाद), डॉ. निहाल ताश (तुर्की), डॉ. मनिष जैन (रेवाड़ी), प्रो. राजेन्द्र शर्मा (ओमान) और डॉ. आशिष कुमार (देहरादून) शामिल रहे, जिन्होंने बायो-मैथमेटिकल मॉडलिंग, कंप्यूटेशनल मैथमेटिक्स, न्यूमेरिकल एनालिसिस एवं डिफरेंशियल इक्छ्रेशस जैसे विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए। उद्घाटन सत्र में राजकीय स्मातकोत्तर महाविद्यालय, चकराता के प्राध्यापक डॉ. अंजू अग्रवाल, डॉ. सुमेर चंद, डॉ. यशवीर रावत, डॉ. अनुज कुमार आदि भी उपस्थित रहे। दो समानांतर तकनीकी सत्रों में शोधार्थियों द्वारा शोधपत्र प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य गणित के नवीन आयामों पर विचार-विमर्श और अनुसंधान में नवाचार को प्रोत्साहित करना है। आयोजन समिति, IQAC टीम, तकनीकी सहयोगियों और स्वयंसेवकों के सामूहिक प्रयास से उद्घाटन सत्र अत्यंत सफल, प्रेरणादायक और ऐतिहासिक रहा, जिसने चकराता जैसे पर्वतीय क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक मानचित्र पर नई पहचान प्रदान की।
इस अवसर पर ऋषिकेश परिसर के अधिष्ठाता प्रो. प्रशांत कुमार सिंह, प्रो. सती, प्रो. श्रीवास्सव और प्रो० कंचन लता सिन्हा सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। राकेश कुमार, एस.सी. पाल, और शिवानंद नामक शोधकर्ताओं की सक्रिय उपस्थिति रही, जिन्होंने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
यह ई-कॉन्फ्रेंस गणितीय विचारों के आदान-प्रदान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम है।