हरिद्वार : जिले में स्टाम्प एवं निबंधन शुल्क के माध्यम से 290.40 करोड़ रूपये की हुई प्राप्ति – एडीएम पीएल शाह

हरिद्वार। अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) पीएल शाह की अध्यक्षता में सोमवार को कलक्ट्रेट सभागार में अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रीकरण किये जाने वाले विलेखों का रजिस्ट्रीकरण किया जाना तथा ऐसे विलेख जिन पर स्टाम्प शुल्क प्रभार्य होता है, उन पर स्टाम्प देयता के सम्बन्ध में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) पीएल शाह ने कार्यशाला में राजस्व प्राप्तियों में स्टाम्प ड्यूटी एवं रजिस्ट्रेशन शुल्क के योगदान का उल्लेख करते हुये कहा कि लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए किसी भी राज्य हेतु वित्तीय संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता अपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य की प्राप्ति के परिप्रेक्ष्य में कुल राजस्व संग्रह में स्टाम्प ड्यूटी एवं निबंधन शुल्क का योगदान होना, इसकी महत्ता को रेखांकित करता है। उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में जनपद हरिद्वार में स्टाम्प एवं निबंधन शुल्क के माध्यम से 290.40 करोड़ रूपये की प्राप्ति हुई, जोकि वित्तीय वर्ष 2020-21 में हुई प्राप्ति 228.66 करोड़ के सापेक्ष लगभग 27 प्रतिशत अधिक है।
कार्यशाला में प्रस्तुतीकरण देते हुये सहायक आयुक्त स्टाम्प अरूण प्रताप सिंह ने भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 एवं भारतीय स्टाम्प अधिनियम-1899 आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 की धारा-17 में अनिवार्य पंजीकरण की श्रेणी में आने वाले विलेखों के सम्बन्ध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विलेखों का प्रभार स्टाम्प शुल्क अदा कर अनिवार्य पंजीकरण होने से जहां स्टाम्प राजस्व प्राप्त होता रहेगा, वहीं इन विलेखों से प्रभावित/लाभान्वित होने वाले पक्षकारों को प्राप्त होने वाले विधिक अधिकार सुरक्षित रहेंगे तथा सम्बन्धित विभागों को भी अनावश्यक विवादों से सुरक्षा रहेगी।
सहायक आयुक्त स्टाम्प ने कार्यशाला में विभिन्न निकाय/ संस्थान/विभाग आदि का उल्लेख करते हुये कहा कि उनके द्वारा निर्मित दुकानों/भवनों आदि को ठेकों/अनुबन्ध के माध्यम से लोगों को उपलब्ध कराये जाते हैं, लेकिन कतिपय निकायों/संस्थानों द्वारा ठेकों/अनुबन्ध हेतु किसी प्रकार के विलेख को निष्पादित नहीं जाता है या लेखपत्र निष्पादित किये भी जाते हैं, तो उनका रजिस्ट्रीकरण निबन्धन विभाग के कार्यालयों में नहीं किया जाता है या फिर कुछ ठेके यथा तह बाजारी, नुमाइश के ठेके, खनन ठेके, बाजार आदि के नीलामी के मामले विभिन्न विभागों के द्वारा दिये जाते है. लेकिन ऐसे पत्रों पर उचित स्टाम्प शुल्क अदा नहीं किया जाता है। यदि इन सभी कार्यों में उचित स्टाम्प के मूल्य पत्र का उपयोग किया जाये तो राजस्व संग्रहण में काफी बढ़ोत्तरी होगी। कार्यशाला में लीज/डीड, ई-स्टैम्पिंग क्या है, ई-स्टैम्पिंग का भविष्य, विभिन्न विभागों द्वारा प्रयोग में लाये जा रहे ई-स्टाम्प के सत्यापन एवं प्रयुक्त होने के पश्चात् ई-स्टाम्प की नियमानुसार लॉकिंग किया जाना आदि के सम्बन्ध में विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।
अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) पीएल शाह ने कहा कि कार्यशाला में रजिस्ट्रेशन एवं स्टाम्प से सम्बन्धित विभिन्न प्रकरणों के सम्बन्ध में नई-नई जानकारी प्राप्त होने के साथ ही इस सम्बन्ध में कई शंकाओं का समाधान भी हुआ। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि इस सम्बन्ध में आगामी दिवसों में एक और कार्यशाला का आयोजन किया जाये ताकि राजस्व प्राप्तियों में स्टाम्प ड्यूटी एवं रजिस्ट्रेशन शुल्क का योगदान शत-प्रतिशत रहे। इस अवसर पर सचिव एचआरडीए उत्तम सिंह चौहान, एसडीएम पूरण सिंह राणा, एसडीएम लक्सर गोपाल राम बिनवाल, जिला युवा कल्याण अधिकारी मुकेश भट्ट, जिला क्रीड़ा अधिकारी आरएस धामी, मोहन शर्मा, नवल किशोर शर्मा, उमेश चन्द्र गौनियाल, सभी रजिस्ट्रार सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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