मेडिकल कॉलेज में वैक्सकुलर डिसॉर्डर पर हुआ एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
श्रीनगर। राजकीय मेडिकल कॉलेज में वैस्कुलर सर्जरी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें वैस्कुलर डिसॉर्डर के तहत शरीर के नसों में होने वाले विकार के बारे में डॉक्टरों, एमबीबीएस छात्र-छात्राओं को विस्तृत जानकारी दी गई। बताया कि यह विकार मधुमेह वाले रोग, उच्च रक्तचाप या गुर्दे की विफलता वाले लोगों पर अधिक होने की संभावना रहती है। ऐसे में वैस्कुलर सर्जरी की जानकारी आज के समय पर सभी डॉक्टरों को होनी जरूरी बताया गया। जबकि हार्ट संबंधी धमनियों में जमा होने वाले कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और लिम्फेटिक सिस्टम डिसऑर्डर के बारे में रोचक जानकारी देते हुए वैस्कुलर दवा के संदर्भ में भी जानकारी दी। वैरिकोज वेंस को हल्के में नहीं लेना चाहिए, इसका समय पर इलाज करना चाहिए, नहीं तो शरीर के विभिन्न अंगों में रक्त की सप्लाई कम होने से इस्केमिया हो सकता है और शरीर का अंग डैड हो सकता है।
मेडिकल कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्याशाल में पहुंचे विभिन्न स्थानों के डॉक्टरों के संदर्भ में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने जानकारी देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। इस मौके पर करेला से आये वैस्कुलर सर्जन डॉ विमल लाइपे ने बताया कि परिधीय धमनी रोग के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि परिधीय धमनी शरीर में विभिन्न अंगों और ऊतकों को रक्त ले जाती है। नसों में कोलेस्ट्रॉल और फैट का संचय रक्त के प्रवाह के मार्ग को संकीर्ण करता है। यह शरीर में ऊतकों में रक्त प्रवाह को खराब कर सकता है और जटिलताओं का कारण बन सकता है। ऐसे में कई प्रकार के विकास मानव शरीर में होते है। जांघों और निचले पैरों की मांसपेशियों के अंदर मौजूद नसों में रक्त के थक्के हो सकते हैं जो गहरी नसों की थ्रोम्बिसिस का कारण बनते हैं।
केरला से पहुंचे वैस्कुलर सर्जन डॉ सुनील ने कहा कि जमा हुआ पदार्थ आपकी धमनियों को संकरा बना सकता है या आपकी धमनियों में जम सकता है, जिससे हृदय में ब्लड और ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है। इस प्रक्रिया में अपनाई जाने वाली सर्जरी के बारे में जानकारी दी। अपोल अस्पताल हैदराबाद से पहुंचे वैस्कुलर सर्जन डॉ. चन्द्रशेखर ने वैरिकोज वेन्स के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसमें नसें सूजी हुई और अधिक मुड़ी हुई होती है। कहा कि इससे सबसे प्रभावित हिस्से पैर और पंजे होते है। महाराष्ट्र से पहुंचे वैस्कुलर सर्जन डॉ रोहित गुप्ता ने गैर-उपचार वाले अल्सर के बारे में जानकारी दी। जिसमें गैर-ट्यूबरकुलोसिस माइकोबैक्टीरिया के कारण होने वाले अल्सर भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह समस्या नस की क्षति, अतिरिक्त दबाव, कैंसर,संक्रमण से होता है। इस मौके पर फार्माकोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. किंगशुक लाहौर, वैस्कुलर सर्जन डॉ. प्रवीन जिंदल, बेस अस्पताल में एमएस डॉ. रविन्द्र बिष्ट, मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. केएस बुटोला सहित अन्य लोग मौजूद थे।