आईआईटी रुड़की ने भारत के अभूतपूर्व मेगा आर एण्ड डी फेयर आईइन्वेंटिव में आर्सेनिक मुक्त पेयजल प्रौद्योगिकी का किया प्रदर्शन, यह घर पर पानी साफ करने के सिस्टम में भी आसानी से करेगा काम

भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने पर आयोजित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में आईआईटी दिल्ली में आर एंड डी मेले का आयोजन 
रुड़की :  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने आर्सेनिक से दूषित पानी की समस्या के सफल समाधान की सरल और किफायती टेक्नोलाॅजी विकसित की है जो उपयोग की जगह कहीं भी लगाई जा सकती है। कम लागत का यह समाधान पानी को आर्सेनिक से मुक्त करने के साथ-साथ अन्य हेवी मेटल से भी छुटकारा दिला सकता है।  14 और 15 अक्टूबर 2022 को आईआईटी दिल्ली के आर एण्ड डी फेयर ‘इनवेंटिव’ में यह प्रोजेक्ट प्रदर्शित किया गया। शोधकर्ताओं ने एक अभूतपूर्व एडजार्बेंट का विकास किया है जो आर्सेनिक की दो सबसे हानिकारक स्पीसीज़ आर्सेनाइट (As (III)   और आर्सेनेट As(V)) को सोखने के अलावा अन्य हेवी मेटल आयनों से भी छुटकारा दिलाएगा।

इस इनोवेशन की दो सबसे मुख्य विशेषताएं हैं

  1. यह आम घरों और फिर बड़ी घरेलू व्यवस्था में पहले से मौजूद पानी साफ करने के सिस्टम में आसानी से लग सकता है
  2. यह एडजार्बेंट एक औद्योगिक कचरा ‘फेरोमैंगनीज स्लैग’ और सस्ता नैचुरल राॅक से तैयार किया जाता है जो एक साधारण रासायनिक प्रक्रिया से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है
इन एडजार्बेंट मटीरियल का लाभ समाज के सभी वर्गों को मिलेगा। आने वाले समय में आर्सेनिक मुक्त खाद्य उत्पादों की लागत अधिक होने की संभावना है। इस तरह की सामग्री भविष्य में भी कृषि कर्म में उपयोगी पानी को आर्सेनिक मुक्त करने में सहायक होगी।आईआईटी रुड़की की प्रोटोटाइप विकास टीम के इनोवेटरों में प्रो. अभिजीत मैती, पॉलिमर और प्रोसेस इंजीनियरिंग विभाग, डॉ. अनिल कुमार और डॉ. निशांत जैन शामिल हैं। समाज के लिए लाभदायक उत्पाद विकसित करने के लिए शोधकर्ताओं को बधाई देते हुए आईआईटी रुड़की के कार्यवाहक निदेशक प्रो. एम. एल. शर्मा ने कहा – आर्सेनिक की समस्या पूरी दुनिया में है। अमेरिका और अफ्रीका के कई देशों के जलाशयों में आर्सेनिक और अन्य हेवी मेटल पाए जाते हैं। यह इनोवेशन ना केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत फायदेमंद होगा। खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए भारी मात्रा में आर्सेनिक से दूषित भूजल का इस्तेमाल किया जा रहा है और इस वजह से पृथ्वी की सतह पर मौजूद जल भी आर्सेनिक से दूषित हो रहा है।’’
प्रो- अक्षय द्विवेदी, डीन, प्रायोजित अनुसंधान और औद्योगिक परामर्श (एसआरआईसी), आईआईटी रुड़की ने कहा, “फेरोमैंगनीज स्लैग से निपटना उद्योग जगत और पूरे देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसलिए फेरोमैंगनीज स्लैग का उपयोग करना पर्यावरण को सस्टेनेबल रखने की दृष्टि से बेहतर होगा। यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल है क्योंकि इसमें हानिकारक रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है।’’ यह प्रोटोटाइप 50 ग्राम (्25 एमएल) सामग्री से तैयार एक फिक्स्ड बेड है। इस पर वास्तविक रूप से आर्सेनिक से दूषित भूजल को लेकर परीक्षण किया गया जिसमें प्रारंभिक आर्सेनिक कंसंट्रेशन 100-200 माइक्रोग्राम/ ली. था और एडजाॅर्बेंट के साथ इसके संपर्क का समय 2 मिनट रखा गया था। इस तरह लगभग 250-300 लीटर पानी का उत्पादन किया गया है जिसमें आर्सेनिक का कंसंट्रेशन 10 माइक्रोग्राम/लीटर (डब्ल्यूएचओ की अधिकतम सीमा) से कम पाया गया।
इस इनोवेशन के बारे में आईआईटी रुड़की के पॉलिमर और प्रोसेस इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर अभिजीत मैती ने कहा, “ इस इनोवेशन के तीन बुनियादी आधार हैं – कम लागत की कच्ची सामग्रियां, रसायनों का न्यूनतम उपयोग और अशुद्धि हटाने की प्रक्रिया का आसानी से व्यापक उपयोग। इसमें पर्यावरण के सस्टेनेबलिटी को ध्यान में रखते हुए फेरोमैंगनीज स्लैग नामक औद्योगिक कचरे का उपयोग किया गया है जिसका बाजार मूल्य बहुत कम है। इस तरह विकसित प्रौद्योगिकी से औद्योगिक परिवेश में रासायनिक प्रक्रिया से एक बैच में लगभग 500 किलोग्राम पेलेटयुक्त सामग्री तैयार की जा चुकी है। इसमें एक औद्योगिक भागीदार एसईआरबी, भारत सरकार, प्रोेजेक्ट स्कीम ‘इम्प्रिंट 2 ए’ के माध्यम से इस प्रोेजेक्ट से जुड़ा था। वास्तविक रूप से आर्सेनिक दूषित जल की स्थिति में आर्सेनिक मुक्त करने का यह प्रयोग सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।’’
यह प्रौद्योगिकी 8000 लीटर पानी फिल्टर कर सकती है और एक आम 4-5 सदस्यीय परिवार में कई वर्षों तक इसका उपयोग किया जा सकता है। इसका रूपांतरण करना आसान और किफायती भी है क्योंकि इसके लिए एडजाॅर्बेंट औद्योगिक कचरे से तैयार किया जाता है और जिसकी व्यावसायिक लागत बहुत कम है। वर्तमान में यह प्रौद्योगिकी भारत में उपलब्ध नहीं है और बाजार में जो आयातित एडजाॅर्बेंट उपलब्ध हैं सीमित मात्रा में हैं और इसलिए इन पर लागत भी काफी अधिक है।

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