एक सांस्कृतिक ऐतिहासिक धार्मिक शहर जोशीमठ अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है

@हिंवाली न्यूज़ ब्यूरो (29 दिसम्बर 2022)

जोशीमठ। 

चमोली उत्तराखंड का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक नगरी जोशीमठ इन दिनों भूधसाव मकानों पर दरारे के कारण राजनीतिक एवं सामाजिक चर्चा में है और यहां के लोग कुछ समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या करें अत्यधिक भौतिकवादी दौड़ के कारण आदि गुरु शंकराचार्य की तोपों भूमि आज संकट के दौर से गुजर रही हैआधुनिकता और विकास की दौड़ जहां एक और जीवन को खुशहाल बनाती है, तो वहीं दूसरी ओर तमाम तरह की नई समस्याओं से भी लोगों को दो-चार होना पड़ता है। उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ क्षेत्र में भू धंसाव जैसी घटनाएं सामने आने लगी हैं। इस वजह से कई क्षेत्रों के अस्तित्व पर संकट आने लगा है। तमाम तरह के निर्माण कार्यो और जल निकासी का उचित प्रबंध न होने की वजह से इस तरह की घटना सामने आ रही है। चमोली। चमोली सामरिक दृष्टि, व्यापारिक दृष्टि और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण जिला है। यहां पर भारत चीन सीमा पर तैनात सैनिकों के धार्मिक और आर्थिक गतिविधियों का सबसे बड़ा केंद्र बद्रीनाथ धाम भी है। 2011 की गणना के अनुसार यहां की जनसंख्या लगभग उस वक्त 4 लाख 55 हजार थी, जो बढ़कर अब दुगनी हो गई है। कई गांव ऐसे हैं जिससे रह पाना बेहद मुश्किल हो गया है। जिन घरों को सपनों के साथ गांव के लोगों ने बनाया था वह घर धीरे-धीरे जमीन में धंसते जा रहे हैं। पहाड़ों पर स्थित गांव दरारों में तब्दील हो रहे हैं। छोटे-छोटे घर छोटी-छोटी रसोई और दुकान हैं। यहां स्थिति इतनी खतरनाक हो गई है कि अब लोग जान हथेली में रखकर रहने को मजबूर हैं। जिनके पास विकल्प है वह अपने घर छोड़ चुके हैं।इस पूरी घटना का जिम्मेदार स्थानीय लोग टनल का निर्माण कार्य कर रहे एनटीपीसी को मानते हैं। अब लोग इसके मुआवजे की धन राशि की मांग कर रहे हैं। भू- धंसाव और नगर की सैकड़ों मकानों में पड़ी दरारों के बीच अब ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन नगरी जोशीमठ के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रशासन से अंतिम बार आरपार की लड़ाई के लिए जोशीमठ में जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया था। जिसमें सैकड़ों नगरवासियों का जनसैलाब उमड़ा, साथ ही जोशीमठ के मुख्य बाजार भी रैली के समर्थन में बंद रहे थे, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले व्यापार संघ जोशीमठ, नगर के 9 वार्डों के महिला मंगल दलों, युवक मंगल दलों, सहित क्षेत्रीय विधायक राजेंद्र भंडारी शामिल हुए। बता दें कि जोशीमठ नगर भू- धंसाव के चलते बर्बादी के कगार पर खड़ा है, नगर के सभी वार्डों में भूस्खलन ओर धंसाव से मकानों में दरार पड़ी है।

एनटीपीसी अधिकारियों का मानना है कि जो भूस्खलन और धंसाव की स्थिति जोशीमठ में बनी है वह उसका कोई मतलब टनल से नहीं है। क्योंकि टनल काफी दूरी पर बनी है और इस तरह के आरोप लगाना सही नहीं है।
उपजिलाधिकारी जोशीमठ का कहना है कि इस पूरे मामले पर सर्वे करने के बाद ही तथ्य सामने आ पाएगा।
हालांकि दरारों के कारण काफी नुकसान की संभावना है। जिसको लेकर स्थानीय क्षतिग्रस्त हुए मकान और दुकानों का सर्वे किया जा रहा है।
वही आपदा प्रबंधन के अपर मुख्य कार्याधिकारी पीयूष रौतेला ने कहा कि हमारी टीम ने आज मारवाड़ी, विष्णुप्रयाग से अलकनंदा नदी के कटाव और भू-धंसाव वाला क्षेत्र देखा है। उन्होंने कहा अलकनंदा नदी से काफी कटाव हो रहा है। नदी का जलस्तर भी काफी बढ़ा हुआ है। उन्होंने कहा यहां भी काफी भू-धंसाव हो रहा है। जोशीमठ शहर में निर्माण अधिक हो रहा है। पानी की निकासी भी सही तरीके से नहीं रही है। जोशीमठ शहर के आसपास काफी दरारे भी आई है। इसके अलावा टीम के सदस्य एटी नाला सहित आसपास के क्षेत्रों में गए। अब टीम के अधिकारी औली और सुनील गांव जाकर वहां की स्थिति का भी स्थलीय निरीक्षण करेंगे। अगले तीन दिन तक टीम रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजेगी।
इस पुरे इलाके का अध्ययन रुड़की आईआईटी और वडिया इंस्ट्यूट कर रहा है। वैज्ञानिको की टीम लगातार इस इलाके का निरीक्षण कर रही है।अध्यन पूरा होने के बाद जल्द राज्य और केंद्र सरकार को इस क्षेत्र की रिपोर्ट सौंपी जाएगी। फ़िलहाल इस पूरे क्षेत्र में जिस तरह के हालात हैं वो भयानक है। राज्य सरकार को चाहिए की जल्द से जल्द कोई इंतजाम इन गाँव के लोगो के लिए करे।

हालांकि इस पूरे मामले पर सर्वे करने के बाद ही तथ्य सामने आ पाएगा। हालांकि दरारों के कारण काफी नुकसान की संभावना है। जिसको लेकर स्थानीय क्षतिग्रस्त हुए मकान और दुकानों का सर्वे किया जा रहा है और जल्दी ही नुकसान का आकलन लगा लिया जाएगा।
कुमकुम जोशी,
एसडीएम जोशीमठ

एनटीपीसी अधिकारियों का मानना है कि जो भूस्खलन और धंसाव की स्थिति जोशीमठ में बनी है वह उसका कोई मतलब टनल से नहीं है। क्योंकि टनल काफी दूरी पर बनी है और इस तरह के आरोप लगाना सही नहीं है।।
आर पी अहिवार
प्रबंधक एन टी पी सी

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