18 मई को खुलेंगे चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट,भगवान रुद्रनाथ की चल विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल गोपीनाथ मंदिर से रुद्रनाथ मंदिर के लिए हुई रवाना…..
@हिंवाली न्यूज़ ब्यूरो (16 मई 2024)
गोपेश्वर (चमोली)। पंच केदारों में चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रियाओं के तहत गुरुवार को भगवान की उत्सव डोली गोपीनाथ मंदिर से रुद्रनाथ मंदिर के लिये रवाना हो गई है। गोपीनाथ मंदिर से उत्सव डोली सेना की बैंड धुनों के साथ ही अपने सैकड़ों भक्तों के साथ उच्च हिमालयी क्षेत्र के लिए रवाना हुई। यहां भगवान रुद्रनाथ के ग्रीष्मकालीन प्रवास को प्रस्थान के दौरान सैकड़ों भक्तों ने गोपीनाथ मंदिर प्रांगण में दर्शन कर पूजा-अर्चना की। उच्च हिमालय में स्थित चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट आगामी 18 मई को ब्रह्म मुहूर्त में विधि विधान से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे। गुरुवार को यात्रा ल्वींटी बुग्याल में रात्रि प्रवास करेंगी।
गोपीनाथ मंदिर परिसर में गुरुवार को पुजारी आचार्य वेद प्रकाश भट्ट ने भगवान रुद्रनाथ की चल विग्रह मूर्ति का अभिषेक और वैदिक मंत्रों के साथ पूजा-अर्चना की। इस दौरान स्थानीय ग्रामीणों ने भगवान रुद्रनाथ को नौ-नाज (नया अनाज) अर्पित कर पूजा अर्चना कर कुशलता की मनौतियां मांगी। जिसके पश्चात यहां भगवान रुद्रनाथ को पुजारियों द्वारा भोग लगाने के पश्चात भगवान रुद्रनाथ उत्सव डोली ने अपने शीतकालीन गद्दी स्थल के अधिष्ठाता गोपीनाथ भगवान से विदा लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्र के प्रस्थान किया। धाम के मुख्य पुजारी आचार्य वेद प्रकाश भट्ट ने बताया कि उत्सव डोली गुरुवार को पैदल यात्रा मार्ग के ल्वींटी बुग्याल में रात्रि प्रवास के बाद शुक्रवार को रुद्रनाथ मंदिर पहुंचेगी। जहां शनिवार को पौराणिक परंपरा के साथ ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे।
रुद्रनाथ मंदिर मुख्य पुजारी और हक हक्क धारीयों ने बताया कि भगवान रुद्रनाथ उत्तराखंड के पांच केदारों में से एक केदार है। यह मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है पूरे भारत में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान शंकर के मुख के दर्शन होते हैं यह मंदिर मुख्य मोटर मार्ग से लगभग 22 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित है विकट परिस्थितियों होने के बावजूद भी हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान रुद्रनाथ के दर्शनों के लिए यहां पर पहुंचते हैं मंदिर पहुंचने समय चारों ओर हरे-भरे बुग्याल और प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्य से लबालब यह क्षेत्र है।