श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में एफडीपी के दूसरे दिन बौद्धिक संपदा अधिकार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर उपयोगी व्याख्यान…..

@हिंवाली न्यूज़ ब्यूरो (12 सितंबर 2025)
ऋषिकेश। श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर (FDC) द्वारा आयोजित एक सप्ताहव्यापी फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम “Empowering Educators through IPR Literacy and Innovation” के दूसरे दिन बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights) और शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर केंद्रित सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में विषय विशेषज्ञों ने न केवल सैद्धांतिक पहलुओं को समझाया बल्कि व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया।
दिन की शुरुआत सुबह 10:00 बजे सुश्री मुस्कान रस्तोगी, के व्याख्यान “What is IPR?” से हुई। उन्होंने कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, पेटेंट और इंडस्ट्रियल डिज़ाइन जैसे विभिन्न IPR उपकरणों की परिभाषा, महत्व और अनुसंधान व अकादमिक क्षेत्र में इनके उपयोग पर प्रकाश डाला।
इसके उपरांत 11:30 से 1:00 बजे तक दूसरे सत्र में उन्होंने “Basics of Patents” विषय पर विस्तार से चर्चा की। इसमें उन्होंने पेटेंट योग्य आविष्कारों की पहचान, आवेदन प्रक्रिया, भारतीय तथा अंतरराष्ट्रीय पेटेंट कानूनों और पेटेंट अधिकारों के संरक्षण की रूपरेखा को स्पष्ट किया।
तीसरे सत्र (1:30 से 3:00) में सुश्री रस्तोगी ने “Patent Search, Databases and Drafting” विषय पर प्रायोगिक अभ्यास करवाए। उन्होंने प्रतिभागियों को पेटेंट डेटाबेस (जैसे WIPO, IPO, USPTO आदि) से परिचित कराया और पेटेंट ड्राफ्टिंग के व्यावहारिक उदाहरण साझा किए।
दिन का अंतिम सत्र (3:00 से 4:30) डॉ. दिव्या श्रीवास्तव, सह-संस्थापक, Artificial Intelligence Research and Development Labs द्वारा संचालित किया गया। उन्होंने “AI to protect IPR in teaching: From checking plagiarism to guiding student innovations”विषय पर विस्तार से चर्चा की। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि किस प्रकार AI-आधारित टूल्स शोध कार्यों की मौलिकता की जांच करने, प्लेजरिज़्म को रोकने और छात्रों के नवाचार को सही दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
इस अवसर पर प्रो. अनीता तोमर, कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए, ने कहा कि “आज के डिजिटल युग में बौद्धिक संपदा अधिकार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शिक्षा और शोध को नई ऊँचाइयों तक ले जाने की क्षमता रखते हैं। शिक्षकों और शोधार्थियों को इन विषयों की समझ होना समय की मांग है, जिससे वे अपने कार्य को न केवल सुरक्षित रख सकें बल्कि समाज और उद्योग को भी लाभान्वित कर सकें।” इस पहल से विश्वविद्यालय स्तर पर एक ऐसे शैक्षणिक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा, जहाँ रचनात्मकता, नवाचार और बौद्धिक संपदा संरक्षण को समान महत्व मिलेगा।”
कार्यक्रम की समन्वयक डॉ. सीमा बैनिवाल ने बताया कि “एफडीपी का उद्देश्य शिक्षकों को IPR और नवाचार के व्यावहारिक पहलुओं से जोड़ना है। आज के सत्रों ने प्रतिभागियों को इस दिशा में गहन जानकारी प्रदान की है और आने वाले दिनों में और भी विषयगत कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।”
विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. एन.के. जोशी ने अपने संदेश में कहा कि “इस प्रकार के आयोजन ही भविष्य की शैक्षणिक और अनुसंधान संबंधी दिशा निर्धारित करते हैं। मैं विशेष रूप से फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की निदेशक एवं गणित विभागाध्यक्ष प्रो. अनीता तोमर के सक्रिय सहयोग और दूरदर्शी मार्गदर्शन की सराहना करता हूँ। साथ ही आयोजन टीम के डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी और डॉ. सीमा बैनिवाल के समर्पित प्रयासों ने इस कार्यक्रम को सफल एवं प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
दिनभर चले सत्रों ने प्रतिभागियों को न केवल सैद्धांतिक बल्कि व्यावहारिक ज्ञान से भी समृद्ध किया और उनके शोध व शिक्षण कार्यों में नई दृष्टि प्रदान की और विशेषज्ञों से गहन चर्चा कर अपने संदेहों का समाधान पाया।