“गणित की मूलभूत अवधारणाएँ एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के गणितीय आधार — सातत्य एवं अनुकूलन की भूमिका”…….

@हिंवाली न्यूज़ ब्यूरो (17 अक्टूबर 2025)

ऋषिकेश। “गणित की मूलभूत अवधारणाएँ एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के गणितीय आधार — सातत्य एवं अनुकूलन की भूमिका”

पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर, श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, ऋषिकेश के गणित विभाग, द्वारा दिनांक 16.10.2025 को एक प्रेरणादायक गेस्ट लेक्चर का सफल आयोजन किया गया। इस व्याख्यान का विषय था -“गणित की मूलभूत अवधारणाएँ एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) के गणितीय आधार : सातत्य (Continuity) एवं अनुकूलन (Optimization) की भूमिका।” यह कार्यक्रम विभाग की अकादमिक समृद्धि एवं विद्यार्थी अभिवृद्धि श्रृंखला के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों में गणितीय सोच एवं विश्लेषणात्मक दृष्टि का विकास करना है।

मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. नरेंद्र कुमार सिजवाली, एम. बी. राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, हल्द्वानी (नैनीताल) ने व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉ. सिजवाली nonlinear analysis, fixed point theory एवं आधुनिक गणितीय शिक्षण के क्षेत्र में एक विद्वान हैं। उन्होंने अनेक संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं में अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए हैं और विद्यार्थियों को गणित की गहराई तथा उसकी आधुनिक उपयोगिता से जोड़ने का निरंतर प्रयास करते हैं। उनका कार्य गणितीय सिद्धांतों को वास्तविक समस्याओं से जोड़ने पर केंद्रित है। अपने व्याख्यान में डॉ. सिजवाली ने बताया कि गणित की मूलभूत अवधारणाएँ जैसे सातत्य (Continuity), सीमा (Limit), अभिसरण (Convergence) और अनुकूलन (Optimization) केवल सैद्धांतिक विषय नहीं हैं, बल्कि ये आज की कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की पूरी संरचना के गणितीय स्तंभ हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि AI में प्रयुक्त सभी एल्गोरिद्म , चाहे वह Neural Network, Machine Learning या Data Optimization हों — इन्हीं गणितीय सिद्धांतों पर आधारित हैं। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि जब कोई AI मॉडल डेटा से “सीखता” है, तो यह प्रक्रिया सातत्य और अभिसरण जैसी गणितीय अवधारणाओं के अनुसार आगे बढ़ती है। उन्होंने कहा, “यदि गणित की नींव मजबूत हो, तो विद्यार्थी किसी भी आधुनिक तकनीक को समझने और विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभा सकता है। सातत्य और अनुकूलन वह पुल हैं जो सिद्धांत और व्यवहार को जोड़ते हैं।” उन्होंने Gradient Descent, Neural Networks और Error Minimization जैसे विषयों को सरल भाषा में समझाते हुए कहा कि “AI में प्रयुक्त प्रत्येक समीकरण गणित के किसी न किसी मूल सिद्धांत से जुड़ा होता है। सातत्य यह सुनिश्चित करता है कि छोटे परिवर्तन डेटा में छोटे परिणाम दें , और यही स्थिरता किसी बुद्धिमान प्रणाली की नींव है।” उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे गणित को केवल सैद्धांतिक विषय न मानें, बल्कि इसे आधुनिक विज्ञान, तकनीक और समाज के विकास का आधार समझें। उन्होंने यह भी बताया कि Fixed Point Theory जैसे गणितीय विचार Machine Learning Models के स्थिर समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉ. सिजवाली ने सातत्य की अवधारणा को सरल भाषा में समझाते हुए बताया कि यह केवल गणितीय परिभाषा नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन के निरंतर परिवर्तन का गणितीय प्रतिबिंब है। उन्होंने सीमा, अभिसरण और अवकलनीयता जैसी अवधारणाओं के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि गणित के उच्च अध्ययन के लिए मजबूत नींव का होना कितना आवश्यक है। व्याख्यान के दौरान उन्होंने अनेक उदाहरणों के माध्यम से विद्यार्थियों को जोड़कर रखा और अमूर्त अवधारणाओं को सहज रूप में प्रस्तुत किया।

मुख्य वक्ता का स्वागत प्रो. अनीता तोमर, विभागाध्यक्ष, गणित विभाग, द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि गणित के मूल सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा विज्ञान जैसी आधुनिक विधाओं में आवश्यक हैं। उन्होंने कहा, “गणित हमें सोचने, तर्क करने और समस्याओं को सटीकता से हल करने की क्षमता देता है। उन्होंने समझाया कि कैसे किसी मशीन या एल्गोरिद्म को “सीखने” के लिए डेटा में पैटर्न पहचानने पड़ते हैं, और यह प्रक्रिया गणितीय रूप से एक सतत फलन (continuous function) की तरह कार्य करती है। उन्होंने आगे कहा, “आज की तकनीकी दुनिया में गणित का महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि हर उभरती तकनीक — चाहे वह AI हो, डेटा साइंस या साइबर सुरक्षा — सबकी जड़ें गणित में हैं। ऐसे व्याख्यान विद्यार्थियों में विषय की गहराई और उसकी वास्तविक उपयोगिता के प्रति जागरूकता उत्पन्न करते हैं।” डॉ. सिजवाली का व्याख्यान विद्यार्थियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा, जिसने मूलभूत गणितीय अवधारणाओं को जीवन्त रूप में इस तरह प्रस्तुत किया कि विद्यार्थी उन्हें अपनी दैनिक जीवन और भविष्य की तकनीक से जोड़ सके। उन्होंने कहा, “डॉ. सिजवाली ने गणित और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बीच के संबंध को जिस सरलता से प्रस्तुत किया, उसने विद्यार्थियों के मन में यह विश्वास जगाया कि गणित वास्तव में भविष्य की भाषा है।” उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि विभाग सदैव अपने विद्यार्थियों को देश के श्रेष्ठ विद्वानों से जोड़ने का प्रयास करता है ताकि उन्हें उच्च स्तरीय शैक्षणिक अनुभव प्राप्त हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि किसी भी विद्यार्थी के लिए गणित के मूल सिद्धांतों की गहन समझ उसके विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण को विकसित करती है और उसे शोध एवं अनुप्रयुक्त गणित के लिए तैयार करती उन्होंने कहा कि गणित के मूल सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा विज्ञान जैसी आधुनिक विधाओं में आवश्यक हैं। गणित हमें सोचने, तर्क करने और समस्याओं को सटीकता से हल करने की क्षमता देता है। डॉ. सिजवाली का व्याख्यान विद्यार्थियों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा, जिसने मूलभूत गणितीय अवधारणाओं को जीवन्त रूप में प्रस्तुत किया। आने वाले सत्रों में “गणित और आधुनिक विज्ञान” पर आधारित व्याख्यानों की एक श्रृंखला चलाई जाएगी।

अंत में गणित विभाग परिवार की ओर से प्रो दीपा शर्मा , कार्यक्रम समन्वयक, ने प्रो. नरेंद्र कुमार सिजवाली का धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस व्याख्यान ने विद्यार्थियों को यह समझने का अवसर दिया कि गणित केवल पुस्तक तक सीमित विषय नहीं, बल्कि आधुनिक विश्व के हर नवाचार का आधार है। उन्होंने कहा, “डॉ. सिजवाली ने सातत्य जैसी अमूर्त अवधारणा को इस प्रकार समझाया कि प्रत्येक विद्यार्थी उससे स्वयं को जोड़ सका। उनके सरल और प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण ने गणित के प्रति नई दृष्टि दी।” डॉ. पवन जोशी ने कहा कि यह व्याख्यान विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक रहा। .

यह आयोजन प्रो. अनीता तोमर के मार्गदर्शन , प्रो. दीपा शर्मा के संयोजन एवं डॉ. पवन जोशी की सहायता से में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में गणित विभाग के प्राध्यापकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। संवाद सत्र में विद्यार्थियों ने सातत्य, असातत्य (Discontinuity) और विभिन्न फलनों के व्यवहार से संबंधित कई प्रश्न पूछे, जिनका डॉ. सिजवाली ने अत्यंत सरलता और धैर्यपूर्वक उत्तर दिया। विद्यार्थियों ने कहा कि इस व्याख्यान से उनकी विषयगत समझ और भी गहरी हुई। विद्यार्थियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि इस प्रकार के व्याख्यान उन्हें प्रेरित करते हैं और गणित के प्रति आत्मविश्वास बढ़ाते हैं। विद्यार्थियों ने इस व्याख्यान को प्रेरणादायक, आधुनिक”, और चिंतनशील” बताया तथा अनुरोध किया कि इस प्रकार के कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएँ। विद्यार्थियों ने कहा कि इस व्याख्यान से उनकी विषयगत समझ और भी गहरी हुई।

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