सहकारिता कर्मियों ने नई सेवा नियमावली का किया विरोध, उपजिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन…..

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@हिंवाली न्यूज़ ब्यूरो (23 अप्रैल 2025)

चमोली। जनपद चमोली के कैडर सचिव व सहकारी समितियाँ कर्मचारी यूनियन जनपद चमोली ने उत्तराखण्ड राज्य में बहुउ‌द्देशीय प्रारम्भिक कृषि सहकारी ऋण समिति कर्मचारी केद्रीयत सेवा नियमावली 2024 को लागू न किए जाने के सम्बन्ध में उपजिलाधिकारी को अपना ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में निम्न बिंदु प्रेषित किये गए।

1. बहुउद्‌देशीय प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समितियों केन्द्रीयत नियमावली सहकारी समिति अधिनियम 2023 नियमावली 2004 व समिति की आर्दश उपविधियों प्रख्यापित संचालक मण्डल के अधिकारों का हनन कर रही है जो कि नैसर्गिक न्याय के विरूद्ध है, अतः उक्त सेवा नियमावली को प्रदेश में लागू न किया जाये।

2. सहकारी समितियों पैक्स अपने प्रबंधकीय व्यय हेतु किसी भी प्रकार की राजकीय सहायता नहीं ले रही है समितियाँ अपनी-अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार ही अपने कर्मचारियों को वेतन भत्ते दे रही है। कर्मचरियों के सम्बन्ध में वर्ष 1983 से यहाँ की समितियों में स्टॉफिंग पैर्टन लागू है और नवगठित प्रदेश में वर्तमान स्टॉफिंग पैटर्न परिपत्र सी-128 प्रभावी है। इन पर नया नियम थोप कर प्रबंध कमेटी के अधिकारों का हनन किया जा रहा है जो विधि संगत नहीं है।

3. सहकारी समितियाँ एक स्वायत्तशासी संस्था है जो अपने संसाधनों से अपने कृषक सदस्यों के आवश्यकताओं की पूर्ति प्रदेश सरकार की नीति के अनरूप सहकारी समिति अधिनियम 2003 व नियमावली 2004 एवं पंजीकृत आर्दश उपविधियों के प्रावधानों का पालन करते हुए समितियों का प्रबंध लोकतांत्रिक रिति से कर रही है। इन समितियों के स्वरूप को खंडित न किया जाय।
4. सेवा नियमावली के अध्याय 2 में दी गयी व्यवस्था के अनुसार समिति संचालक मंण्डल को पूर्व में अधिनियम, नियमावली व समिति पंजीकृत उपविधियों से प्राप्त अधिकार यथा कर्मचारियों की भर्ती, नियुक्ति, दण्ड, वेतन भत्ते, अवकाश, प्रशिक्षण, पदोन्नति, सेवा समाप्ति, अनुशासनात्मक कार्यवाही, सेवाच्युत्ति तथा अन्य अधिकारों को समाप्त कर दिया है। जो लोकतांत्रिक प्रबंध व्यवस्था के विरूद्ध है।

5. सहकारी समितियाँ पैक्स के लोकतांत्रिक स्वरूप में उसकी उपविधियों व निर्वाचित प्रबंध कमेटी के अधिकारों की रक्षा हेतु निबंधक के उपरोक्त परिपत्र 3316/विधि/एम पैक्स नियमावली फरवरी 2024 को तत्काल निरस्त करते हुए निबंधक को अपनी सीमाओं के अन्तर्गत समितियों में अनावश्यक हस्तक्षेप न करने तथा सहकारी समिति अधिनियम 2003 की धारा 121 व 22 में प्राप्त अधिकारों का दुरूपयोग न करने हेतु आवश्यक दिशानिर्देश देने की कृपा करें।

6. मुख्य कार्यकारी अधिकारी की सेवाओं वेतन भत्ते इत्यादि प्रयोजनों हेतु समितियों के अंशदान द्वारा संचयित कैडर फण्ड जिला स्तर पर ही गठित हो। अंशधारी समितियों द्वारा संचयी हेतु कैडर फण्ड को प्रदेश स्तर पर केन्द्रीयत किया जाना न्यायोचित नहीं है।

7. प्रारम्भिक कृषि ऋण सहकारी समिति कर्मचारी नियमावली के अध्याय 5 में दी गयी व्यवस्था में वर्ष के दौरान समिति द्वारा अर्जित शुद्ध लाभ के सादृश्य कर्मचारियों को प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है जो कि सहकारी समिति अधिनियम 2003 की धारा 32 (च) व नियमावली 2004 में प्रख्यापित व्यवस्था का अतिक्रमण है और समिति के स्वायत्तशासी स्वरूप को खंडित करेगा।

8. प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को और अधिक गतिशील बनाने के लिए बहुप्रतीक्षित वैधनाथन कमेटी के सुझावों को लागू किया जाये।

 

इस मौके पर संदीप झिँक्वाण, हीरा घरिया, उर्मिला गैरोला, ललित सती, सूरज बिष्ट, सुनील कुंवर, संदीप आदि मौजूद रहे।

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